🔱 खंडोबा मंदिर, जेवली – महाराष्ट्र के लोकदेवता की पुण्यभूमि

(Khandoba Temple, Jejuri – Land of Faith, Strength & Tradition)

खंडोबा मंदिर, महाराष्ट्र के सबसे पूजनीय लोकदेवता भगवान खंडोबा (मल्लारी-मार्तंड) को समर्पित है। खंडोबा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है, और वे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में विशेष रूप से पूजे जाते हैं।
उनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर पुणे ज़िले के जेवली (Jejuri) कस्बे में स्थित है, जो एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर "सोन्याची जेवळी" (सोने की जेवली) के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहाँ हल्दी की वर्षा होती है जो मंदिर को सुनहरा रूप देती है।


📖 खंडोबा की उत्पत्ति और पौराणिक कथा

✨ उत्पत्ति:

भगवान शिव ने धर्म की रक्षा और असुरों के नाश हेतु मार्तंड भैरव रूप में अवतार लिया, जिसे खंडोबा के नाम से जाना जाता है।

🦸‍♂️ कथा:

प्राचीन समय में दो राक्षस, मणि और मल्ल, पृथ्वी पर अत्याचार फैला रहे थे। इनसे त्रस्त होकर देवताओं और ऋषियों ने शिवजी से रक्षा की प्रार्थना की।
भगवान शिव ने घोड़े पर सवार होकर मार्तंड भैरव के रूप में युद्ध किया, जो छह दिनों तक चला। अंत में उन्होंने दोनों राक्षसों का वध किया।
मरते समय मल्ल ने क्षमा मांगी और प्रार्थना की कि उसका नाम भी पूजा में लिया जाए।
तभी से खंडोबा की जयघोष में कहा जाता है —
येलकोट येलकोट जय मल्हार!


🛕 मंदिर का इतिहास और वास्तुकला

  • मंदिर की स्थापना 13वीं–14वीं शताब्दी के बीच मानी जाती है।

  • इसका निर्माण मराठा शासन और पेशवा काल में हुआ।

  • मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और 300+ सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचना होता है।

  • यहाँ की वास्तुकला में मराठा शैली और लोक परंपराओं की झलक मिलती है।

  • मंदिर परिसर हल्दी से सना रहता है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।


🪜 || जेवली – जहाँ चढ़ने होते हैं 9 लाख सीढ़ियाँ? ||

"जेवली में 9 लाख सीढ़ियाँ हैं" – यह एक लोककथा है, जो इस तीर्थयात्रा के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है।
हालाँकि भौतिक रूप से केवल 350 सीढ़ियाँ हैं, परंतु माना जाता है कि जीवन भर की भक्ति और समर्पण से ही सच्चा दर्शन प्राप्त होता है।

"जेवली की हर एक सीढ़ी सिर्फ एक पग नहीं, बल्कि ईश्वर की ओर बढ़ता विश्वास है।"

जब भक्त “येलकोट येलकोट जय मल्हार!” का जयघोष करते हुए ऊपर चढ़ते हैं, तब हर सीढ़ी एक आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक बन जाती है।


🌸 पूजा विधि और परंपराएँ

खंडोबा की पूजा विशेष रूप से लोकपरंपराओं से जुड़ी होती है।

🔹 मुख्य पूजा सामग्री:

  • हल्दी (turmeric)

  • गुलाल (अबीर)

  • धान और बेलपत्र

  • ज्वार, नारियल, दूध, गुड़

  • ढोल-ताशे और लोक गीतों के साथ पूजा

  • सोंगट्याच्या माळा, मालपुआ, और दूध चढ़ाना

विशेष अवसरों पर धनगर समुदाय के लोग पारंपरिक नृत्य करते हैं।


🧘 आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

  • खंडोबा को कुलदेवता, शक्ति के प्रतीक, और कृषि-पशुपालन के रक्षक माना जाता है।

  • उन्हें धनगर, माली, लिंगायत, कुंभी, मराठा, मुस्लिम भक्तों द्वारा भी पूजा जाता है।

  • खंडोबा की दो पत्नियाँ —

    • म्हाळसा देवी (लिंगायत समाज से)

    • बाणाई देवी (धनगर समुदाय से)

  • यह विवाह सामाजिक समरसता और जातीय एकता का प्रतीक है।


🎉 प्रमुख उत्सव और मेले

🔆 चंपाषष्ठी महोत्सव (मार्गशीर्ष शुद्ध षष्ठी)

  • खंडोबा का विजय दिवस

  • 6 दिन का विशाल मेला

  • ढोल-ताशे, लोकनृत्य, हल्दी की वर्षा

🔆 बाणाई विवाह उत्सव (माघ पौर्णिमा)

  • खंडोबा और बाणाई देवी का विवाह

  • भक्त पारंपरिक गीतों के साथ विवाह उत्सव मनाते हैं

🔆 हर शनिवार

  • विशेष पूजा

  • हजारों भक्तों की भीड़


🔔 आरती और मंदिर समय

  • सुबह आरती: 5:30 AM

  • दोपहर आरती: 12:00 PM

  • संध्या आरती: 7:00 PM

  • दर्शन समय: रोजाना सुबह 5:00 AM – रात 9:30 PM


🚶‍♂️ कैसे पहुँचें – यात्रा गाइड

📍 स्थान:
खंडोबा मंदिर, जेवली, पुणे, महाराष्ट्र

✈️ निकटतम हवाई अड्डा:
पुणे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (~55 किमी)

🚆 निकटतम रेलवे स्टेशन:
पुणे जंक्शन (~50 किमी)

🚌 सड़क मार्ग:

  • पुणे से बस, टैक्सी या निजी वाहन द्वारा

  • मंदिर तक 300+ सीढ़ियाँ


🏨 ठहरने की सुविधा

  • जेवली में धर्मशालाएं, छोटे लॉज

  • पुणे में 3–5 स्टार होटल और गेस्टहाउस


🙏 लोकआस्था, परंपरा और शक्ति का संगम

खंडोबा मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि मराठी संस्कृति, लोकजीवन, और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।
यहाँ आकर ऐसा लगता है जैसे भगवान स्वयं हल्दी से सने हाथों में आशीर्वाद दे रहे हों।

“मायाळा जाऊ दे खंडोबा!
येलकोट येलकोट जय मल्हार!”