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रक्षाबंधन 2025: तारीख, पूजा विधि, व्रत, आरती और सम्पूर्ण जानकारी
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रक्षाबंधन 2025: तारीख, पूजा विधि, व्रत, आरती और सम्पूर्ण जानकारी

रक्षाबंधन एक पवित्र, भावनात्मक और सांस्कृतिक त्योहार है जो भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और कर्तव्य के रिश्ते को समर्पित होता है। यह पर्व सिर्फ खून के रिश्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक बंधनों की भी अभिव्यक्ति करता है।

इस लेख में आपको मिलेगा रक्षाबंधन 2025 का पूरा विवरण - शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, व्रत, आरती, क्या करें और क्या नहीं, धार्मिक महत्व, और कई रोचक पहलू।


रक्षाबंधन 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

त्योहार की तिथि

  • शनिवार, 9 अगस्त 2025

  • यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त (राखी बांधने का समय)

  • प्रातः काल का मुहूर्त: सुबह 5:47 से दोपहर 1:24 बजे तक

  • अभिजीत मुहूर्त (सबसे श्रेष्ठ): दोपहर 12:00 से 12:53 तक

  • भद्रा काल से बचें: राखी भद्रा काल में कभी नहीं बांधनी चाहिए क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।

सुझाव: राखी बांधने का सर्वोत्तम समय सुबह से दोपहर तक का है।


रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

  • "रक्षा-सूत्र" सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि प्रेम, आशीर्वाद और सुरक्षा का वचन है।

  • बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, रक्षा-सूत्र बांधती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है।

  • भाई उसकी सुरक्षा का वचन देता है और उपहार प्रदान करता है।

पौराणिक कथाएं

  1. इंद्र-शची: इंद्राणी ने युद्ध में जाते हुए इंद्र को रक्षा-सूत्र बांधा था।

  2. कृष्ण-द्रौपदी: द्रौपदी ने कृष्ण को रक्षा-सूत्र बांधा, और कृष्ण ने उसे चीरहरण में बचाया।

  3. कर्णावती-हुमायूं: रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी, जिसने उसे युद्ध में सहयोग दिया।


पूजा विधि (Pooja Vidhi)

पूजा थाली में क्या रखें?

  • राखी (मौली या परंपरागत धागा)

  • रोली (कुमकुम), चावल (अक्षत)

  • दीया (तेल वाला दीपक)

  • मिठाई (लड्डू, बर्फी आदि)

  • फूल

  • जल से भरा कलश और आम के पत्ते

  • अगरबत्ती / धूप

पूजा विधि (Step-by-Step)

  1. घर और पूजा स्थान को स्वच्छ करें।

  2. भगवान गणेश का पूजन करें और दीपक जलाएं।

  3. भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठाएं।

  4. बहन भाई को तिलक लगाए और अक्षत चढ़ाए।

  5. राखी बांधते समय यह मंत्र बोलें:

"येना बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः,
तेन त्वाम् अनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल"

  1. आरती करें और मिठाई खिलाएं।

  2. भाई बहन को उपहार देता है और आशीर्वाद देता है।


व्रत (उपवास)

  • कुछ बहनें रक्षाबंधन के दिन व्रत रखती हैं और राखी बांधने के बाद ही भोजन करती हैं।

  • यह उपवास भाई की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।


क्या करें (Do’s)

  • राखी शुभ मुहूर्त में ही बांधें।

  • पारंपरिक मौली या सूती राखी का उपयोग करें।

  • पूजा थाली पूरी और पवित्र हो।

  • आरती और तिलक को न छोड़ें।

  • प्रेम और सम्मान के साथ राखी बांधें।


क्या न करें (Don’ts)

  • भद्रा काल में राखी न बांधें - यह अशुभ माना गया है।

  • फैशनेबल या प्लास्टिक वाली राखियां न बांधें - मौली सबसे शुभ मानी जाती है।

  • पूजा की विधियों को अधूरा न छोड़ें।

  • इस दिन झगड़े, गुस्सा, या तर्क-वितर्क से बचें।


क्षेत्रीय विविधताएं

  • महाराष्ट्र: इस दिन नारियल पूर्णिमा भी मनाई जाती है।

  • ओडिशा: इसे गाम्हा पूर्णिमा कहा जाता है - यहां गायों की पूजा होती है।

  • बंगाल व ISKCON परंपरा: झूलन यात्रा मनाई जाती है।

  • सैनिकों को राखी: बहनें भारतीय सेना के वीर जवानों को राखी भेजती हैं।


रक्षाबंधन उपहार सुझाव (Gifting Ideas)

भाई के लिए:

  • पारंपरिक उपहार: नए वस्त्र, चांदी का सिक्का, धार्मिक वस्तुएं

  • आधुनिक उपहार: गैजेट्स, परफ्यूम, पर्सनलाइज्ड उपहार

बहन के लिए:

  • गहने, सौंदर्य उत्पाद, किताबें, होम डेकोर

  • मन से दिया गया कोई उपहार, चाहे छोटा ही क्यों न हो


राखी का विस्तृत महत्व

  • राखी केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं है।

  • आजकल मित्रों, शिक्षकों, सैनिकों, यहां तक कि वृक्षों और प्रकृति को भी राखी बांधी जाती है।

  • स्पिरिचुअल राखी: भगवान को भी राखी बांधी जाती है जैसे श्रीकृष्ण को।


रक्षाबंधन एक रिश्ते की मर्यादा और आत्मिक बंधन का उत्सव है। यह त्योहार हमें केवल धागे से नहीं, प्रेम, कर्तव्य, और विश्वास से जोड़ता है

चाहे भाई-बहन साथ हों या दूर, यह त्योहार दिलों को जोड़ने वाला है। राखी के धागे में बंधा होता है - सुरक्षा, आशीर्वाद और अटूट विश्वास

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